सरकार संभालने के बाद कोरोना केस बढ़ने पर शिवराज बोले- पहले न टेस्ट किट थी, न पीपीई और मास्क, आज बहुत कुछ है, जांचें भी तेजी से हो रहीं

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों ‘वार मोड’ में हैं। लंबे राजनीतिक घटनाक्रम से जूझने के बाद अब वे प्रदेश में कोरोना से निपटने में लगे हैं। हर सुबह उनका पहला काम चीफ सेक्रेटरी को फोन कर हर जिले का हाल जानने का है। उसके बाद जिलों के अफसरों और जनप्रतिनिधियों से जमीनी हकीकत जानने के बाद वे दफ्तर पहुंचते हैं और शुरू हो जाता है लंबी समीक्षा बैठकों का दौर। इसी दौरान उन्होंने भास्कर से लम्बी बातचीत की। उसी के अंश…


सवाल: पांव-पांव वाले मामा ‘केबिन वाले’ हो गए?


मुख्यमंत्री: हर बार जैसी परिस्थितियां होती हैं वैसी रणनीति बनानी पड़ती है। अभी कोरोना से युद्ध लड़ रहे हैं और इनकी रणनीति प्रदेश में दौड़कर नहीं बनाई जा सकती। यदि जीतना है तो अलग तरीके से काम करना होगा। सुबह उठते ही फोन पर जिलों का हाल लेता हूं। कलेक्टर, एसपी, अधिकारियोंे, विधायक से उनके जिले का हाल पूछता हूं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परिस्थिति से सीधे जुड़ता हूं। 



सवालअब केस ज्यादा हैं। इसका क्या कारण है। क्या पहले इस पर ध्यान  नहीं दिया गया? 
मुख्यमंत्री: 23 तारीख को रात 9 बजे मैंने शपथ ली। 10 बजे मैं वल्लभ भवन में था और तब से एक-दो दिन में व्यवस्थाएं सैट कर दीं। पहले टेस्ट किट की कोई व्यवस्था ही नहीं थी। अगर पॉजिटिव होता तो भी पता नहीं चलता। जांच किट नहीं थी, आवश्यक उपकरण नहीं थे, पीपीई किट नहीं थी। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जैसी दवा नहीं थीं। अस्पतालों में व्यवस्थाएं नहीं थीं। हमने पहले 60 किट की व्यवस्था की, फिर उसे 500 तक ले गए। अब 1000 तक ले जा रहे हैं। इंदौर-भोपाल  में कोविड-19 के लिए डेडिकेटिड अस्पताल हैं। संभागीय मुख्यालयों में अलग विंग बनाई है, जहां कोरोना से इतर अन्य मरीजों का इलाज हो सके। डॉक्टरों, नर्साें, पैरामेडिकल स्टाफ को जरूरी ट्रेनिंग दिलाई। रिप्लेसमेंट के लिए टीमें बनाईं।



सवालस्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी कोरोना पॉजिटिव आए हैं। इस पर क्या कहेंगे? 
मुख्यमंत्री: मनोबल किसी का नहीं गिरा। जो पॉजिटिव आए, वे अफसर स्वस्थ हैं। फिर भी हमने सेकंड लाइन तैयार रखी है। यदि फर्स्ट लाइन में कोई अफसर अस्वस्थ है तो उसकी जगह लेने के लिए दूसरे अफसर तैयार हैं। उन्हें हम ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। थर्ड टीम भी तैयार है। इसलिए वो थ्री लेयर की योजना हमने बनाई है। क्योंकि ये तो संक्रमण है। मैं भी घूमता हूं, लेकिन घर पर सो तो नहीं सकता।



सवालइंदौर में बाकी रिर्सोसेस जुटा लिए गए, लेकिन वहां डॉक्टर्स, नर्साें की कमी महसूस हो रही है? 
मुख्यमंत्री: इंदौर के सरकारी, प्राइवेट डॉक्टरों की टीम तारीफ के काबिल है, वे सभी भरपूर मदद कर रहे हैं। अब केंद्र से जैसी गाइडलाइन आ रही है, उसके हिसाब से हम लगातार ट्रेनिंग दिला रहे हैं। 



सवालछोटे शहरों में मामले आ रहे हैं? जैसे मुरैना।
मुख्यमंत्री: मुरैना में दुबई और बड़वानी में केस विदेश से आया। खरगोन में केस इंदौर से पहुंचा। अब हम सख्ती कर रहे हैं। कोई भी हो, जो इलाज में असहयोग करेगा, भागेगा, उस पर एफआईआर की जाएगी। आप दूसरों की जिंदगी से नहीं खेल सकते। इंदौर से अब कोई बाहर न जाए। भोपाल में भी तीन दिन सख्ती से लॉकडाउन का पालन कराएंगे।


सवालक्या राजनीतिक घटनाक्रम के चलते प्रदेश कोरोना से निपटने की तैयारियों में पिछड़ गया?
मुख्यमंत्री:
 मैं किसी पर आरोप नहीं लगाता, लेकिन जिस क्षण तक जो सरकार है, उस क्षण तक काम करते रहना चाहिए। कोरोना की परिस्थिति एक दिन में नहीं बनी। दिसंबर में जब केस आना शुरू हुए, तब भी चीन से लोग भारत आ रहे थे। उनको क्वारेंटाइन में रखना, व्यवस्थाएं करना जरूरी है। कोई भी सरकार रहे, ऐसे मामलों में विविधता रहनी चाहिए। यह बात सच है कि सिस्टम पहले से मजबूत बना होता तो ये जो थोड़ी देर हुई, वह न होती।


सवालमुख्यमंत्री बनते ही स्वास्थ्य अमले का मनोबल बढ़ाना, उन्हें तकनीकी साधन, संसाधन उपलब्ध कराना बड़ा लक्ष्य था। आपने इसे पाने में कितनी सफलता प्राप्त की?
मुख्यमंत्री: 
मैं सोच को सकारात्मक रखकर आगे बढ़ रहा हूं। मप्र का मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर इस समस्या पर काबू पाने में पूरी तरह सुदृढ़ है। आज हमारे पास 20 हजार आईटीपीसीआर हैं। 29795 पीपीई किट्स हैं। 14 लैब में 1000 टेस्ट प्रतिदिन की क्षमता कर रहे हैं। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की 2.25 लाख गोलियां हैं। चार दिन में 10 लाख गोलियां और मिल जाएंगी। ऑक्सीजन के 3,324 सिलेंडर हैं और 1000 का ऑर्डर दिया है। प्रदेश में 24 हजार 27 बेड हैं। आईसीयू, वेंटिलेटर भी पर्याप्त हैं।



सवाल: इंदौर संवेदनशील क्षेत्र है, वहां स्थिति नियंत्रित करने क्या कदम उठाए?
मुख्यमंत्री: 
इंदौर व आसपास के क्षेत्रों में विदेश से आए नागरिकों की संख्या अधिक है। इन लोगों का शुरुआत में पता नहीं चल सका, इसलिए जाने-अनजाने में इनसे संक्रमण फैल गया। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार कन्टेनमेंट प्लान ए और बी तैयार हैं। प्लान ए में संक्रमितों व संदिग्धों की निगरानी होती है। बी में टेस्ट, ब्लड सैंपल लेते हैं। रैपिड एक्शन के लिए प्रभावित क्षेत्रों में तीन तरह की जांच टीमें सक्रिय हैं। पहली- जागरुकता व समझाइश के लिए। दूसरी- घर जाकर सैंपल लेने के लिए और तीसरी- मनोवैज्ञानिक स्तर पर लोगों को सपोर्ट करने के लिए। हम घर से सैंपल ले रहे हैं ताकि संक्रमित को आइसोलेशन में रख कर परीक्षण कर सकें। 



सवालफसल तैयार है, लेकिन कटाई में परेशानी आ रही है। पंजाब से हार्वेस्टर भी नहीं आ पा रहे? इसके लिए आपने क्या कदम उठाए?
मुख्यमंत्री: मेरा किसान भाइयों से अनुरोध है कि फसल कटाई में वे अत्यधिक सावधानी बरतें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।  ट्रैक्टर्स, थ्रेशर्स, हार्वेस्टर्स के आवागमन पर रोक नहीं है। किसान-मजदूर खेत जा सकते हैं, किंदु सावधानी बरतना जरूरी है। पंजाब से हार्वेस्टर बुलाने के लिए हमने वहां के अखबारों में विज्ञापन दिया है। फिर भी कोई समस्या आई तो उसका  निराकरण करेंगे।



सवाल: गेहूं की फसल खरीदी के लिए आपकी क्या तैयारी है?
मुख्यमंत्री: 15 अप्रैल से गेहूं खरीदी के निर्देश दिए गए हैं। किसानों को फसल बेचने के लिए मोबाइल संदेशों के जानकारी दी जाएगी। हम जो भी निर्णय लेंगे, उसकी सूचना किसानों तक जरूर पहुंचाएंगे।



सवाललॉकडाउन में गरीबों को राशन, भोजन की कठिनाई आ रही थी? कई गरीबों के पास राशन कार्ड भी नहीं थे। इसकी व्यवस्था या मदद आपने कैसे की?
मुख्यमंत्री:
 सरकार प्रदेश के सभी राशन कार्ड वालों को तीन माह का अग्रिम राशन दे रही है। सभी जिला प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी जिले में कोई गरीब, मजदूर फंसे हैं तो उनके भोजन, राशन की व्यवस्था करें। अभी तक 5 करोड़ से अधिक पात्र हितग्राहियों को राशन मिल चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 2 लाख, जबकि शहरी में 2.5 लाख लोगों को प्रतिदिन भोजन दिया जा रहा है। जिनका राशन कार्ड नहीं बना है, उन्हें भी राशन दिया जा रहा है।



सवाल: कोरोना संक्रमण से निपटने में जुटे डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी, पुलिसकर्मियों की मदद का क्या प्लान है?
मुख्यमंत्री: अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर स्वास्थ्यर्कियों का प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गत 50 लाख का बीमा करवाया जाएगा। इसका मप्र के 1.20 लाख लोगों को लाभ मिलने का अनुमान है। इस काम में जुटे डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी, सफाई कर्मी सभी को राज्य सरकार 50 लाख रु. की मदद देने का प्रयास कर रही है।


सवालसरकारी कर्मचारियों का 5 फीसदी डीए स्थगित कर दिया गया है। आपका क्या कहना है?
मुख्यमंत्री:
 मैं प्रदेश के कर्मचारियों से अनुरोध करना चाहता हूं कि अभी हम बहुत ही विषम परिस्थिति से गुजर रहे हैं। मार्च में शासन की आय नगण्य रही। हम पहली प्राथमिकता कोरोना से लड़ने, पीड़ितों को खाना, आवास, अस्पताल की व्यवस्था करने को दे रहे हैं, अत: 5 फीसदी डीए का स्थगित किया है, रद्द नहीं। जैसे ही वित्तीय स्थिति ठीक होगी, हम डीए अवश्य देंगे।


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